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दोनो समय का भोजन मां बनाती है ,
जिवन भर के भोजन का प्रबंध करने पापा को हुम सहज ही भुल जाते है...
कभी चोट या ठोकर लगे तो
" ओह मां "
मुँह से निकल जाता है , लेकिन रस्ता परर करते समय कोई ट्रक पास आकर ब्रेअक लगाये तो
बाप रे !
मुँह से निकलता है ...
क्युकी छोटे छोटे संकट मां के लिये है,
बड़े संकट आने पर ही याद आते है...
पिता वह वटवृक्ष है, जिसकी शीतल छांव में पुरा परिवार चैन से जीता है ....
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very true yrr❤❤
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what a chance to answer my question....
lol iss I'd ke questions ke answer mt do...iske do...kyuki y I'd I'd delete ho gyi h...this is new id
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