"दाने तपसि शौर्ये
च विज्ञाने विनये नये" What is the meaning of this sentence?
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shrourye tapasvi kuch bhi dan de sakte hai lakin vigyan nahi de sakte.
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मानव-मात्र में किभी भी अहंकार की भावना नहीं रहनी चाहिए बल्कि मानव को दान, तप, शूरता, विद्वता, शुशीलता और नीतिनिपुर्णता का कभी अहंकार नहीं करना चाहिए । यह अहंकार ही मानव मात्र के दुःख का कारण बनता है और उसे ले डूबता है ।
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