दुनिया काँच के महत्व जैसी है। अपने स्वभाव की छाया ही उस पर
पलती है। आप भले तो जग मला आप बुरे तो जग बुरा। अगर आप
प्रसन्न चित्त रहते है दूसरों के दोषों को न देखकर उनके गुणों की और
ध्यान देते है, तो दुनिया भी आपसे नसता और प्रेम का बर्ताव करेगी।
अगर आप हमेशा लोगों की ऐयों की ओर देखते हैं, उन्हें अपना शत्रु
समझते हैं और उनकी ओर भौका करते है तो फिर वे क्यों न आपकी
ओर गुस्से से दौड़ेगे।
(1).गद्यांश के पाठ के लेखक और पाठ का नाम बताइये।
(2) इस दुनिया को किसके समान बताया गया है, और क्यों?
(3) दुनिया कब नसता और प्रेम का बर्ताव करती है?
(4) लोगों को गुस्सा कब आता है?
(5) दुनिया कैसी है?
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