दुनिया की सारी गंदगी के बीच कौन क्या रचते हैं?
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गंदगी के बीच दुनिया की सारी खुशियाँ पनपती हैं। ये लोग स्वयं गंदगी के बीच रहकर दूसरों के जीवन को सुगंध से भर देते हैं। कवि ने इस कविता में गरीब, मज़दूर, कारीगर अथवा कामगारों की दुर्दशा और अभावग्रस्त जीवन का वर्णन किया है।
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Explanation:
गंदगी के बीच दुनिया की सारी खुशियाँ पनपती हैं। ये लोग स्वयं गंदगी के बीच रहकर दूसरों के जीवन को सुगंध से भर देते हैं। कवि ने इस कविता में गरीब, मज़दूर, कारीगर अथवा कामगारों की दुर्दशा और अभावग्रस्त जीवन का वर्णन किया है।
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