दुनिया सोती थी दुनिया की जीभ जगती थी इस मुहावरे का अर्थ बताओ
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दुनिया सोती थी दुनिया की जीभ जगती थी इस मुहावरे का अर्थ है कि दुनिया सोती थी, पर दुनिया की जीभ जागती थी, यानि दुनिया वाले बोलते ही रहते थे। दूसरों के मामलों में अपनी प्रतिक्रिया देना दुनिया वालों का स्वभाव है।
व्याख्या :
‘नमक का दरोगा’ पाठ के आधार पर अगर कहे तो दुनिया वालों का काम है, हर किसी बात पर बोलना। जब तक वह किसी ना किसी घटना पर अपनी प्रतिक्रिया ना दे दें, लोगों को चैन नहीं आता। पंडित अलोपदीन रात में ही गिरफ्तार हुए थे और यह खबर जंगल में आग की तरह सब जगह पर फैल गयी। इस पर दुनिया जहान के लोग टीका-टिप्पणी करने से नहीं चूके। चाहे दिन हो या रात सबकी जुबां पर पंडित अलोपदीन की गिरफ्तारी की घटना की ही चर्चा थी।
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