'दिनकर' क काव्य को भावपक्षोय विशषताय लिखिए।
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उनकी काव्य चेतना गतिशील, संचरणशील और हलचल से भरी हुई है। लेकिन इसमें भी दिनकर जी की विशेषता है कि उनका मनोवेग कभी पस्ती और निराशा का शिकार नहीं होता। उनका काव्य अक्सर उमंग, उत्साह और अतिरेक की मनोदशा को व्यक्त करता है। इसी मनोदशा का प्रभाव है कि दिनकर हमेशा ÷गांधी जी' के प्रभाव का निषेध करते .
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उनकी काव्य चेतना गतिशील, संचरणशील और हलचल से भरी हुई है। लेकिन इसमें भी दिनकर जी की विशेषता है कि उनका मनोवेग कभी पस्ती और निराशा का शिकार नहीं होता। उनका काव्य अक्सर उमंग, उत्साह और अतिरेक की मनोदशा को व्यक्त करता है। इसी मनोदशा का प्रभाव है कि दिनकर हमेशा ÷गांधी जी' के प्रभाव का निषेध करते दिखते है।
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