India Languages, asked by pammikaur7777, 7 months ago

दानम सार्वजनिक का अर्थ संस्कृत में क्या होगा​

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Answered by ramakrishnag3105
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Answer:

hehehe you are a great woman and you know how many of the DAY sir ikkadi nundi and the other

Explanation:

I think 3rd of you are going through this 7PM a lot of things you know that you can use a lot and it

Answered by ajayram2005
1

Answer:

Explanation:

कबीर साहब एक पंथ के प्रवर्तक थे। उनकी बहुत-सी साखियाँ और भजन इस प्रांत के लोगों को स्मरण हैं। साखियाँ प्राय: कहावतों का काम देती हैं;भजन मन्दिरों, समाजों और सत्संगों के अवसरों पर गाये जाकर लोगों को परमार्थ का पाठ पढ़ाते हैं। इसलिए उनसे कौन परिचित नहीं है? सभी उनको जानते हैं। किन्तु जानना भी कई प्रकार का होता है। वे सन्त थे, उन्होंने अच्छे-अच्छे भजन कहे, कबीर पन्थ को चलाया, एक जानना यह है। और एक जानना यह है कि उनकी विचार-परम्परा क्या थी, वह कैसे उत्पन्न हुई, किन सांसारिक घटनाओं और कार्य-कलापों में पड़कर वह पल्लवित हुई, किन संसर्गों और महान वचनों के प्रभावों से विकसित बनी। इन बातों का ज्ञान जितना हृदयग्राही और मनोरम होगा, उतना ही वह अनेक कुसंस्कारों और निर्मूल विचारों के निराकरण का हेतु भी होगा। अतएव पहली अभिज्ञता से इस दूसरी अभिज्ञता का महत्तव कितना अधिाक होगा, यह बतलाने की आवश्यकता नहीं। इस ग्रन्थ में संगृहीत पदों और साखियों में आप जिन विचारों को पढ़ेंगे, जिन सिध्दान्तों का निरूपण देखेंगे, उनके तत्तवों को उस समय और भी उत्तामता से समझ सकेंगे, जब आप यह जानते होंगे कि उनका रचयिता कैसा हृदय रखता था, और किन सामयिक घटनाओं के घात-प्रतिघात में पड़कर उसका जीवन-òोत प्रवाहित हुआ था। कविता या रचना कविहृदय का प्रतिबिम्ब मात्रा है। उसमें वह अपने मुख्य रूप में प्रतिबिंबित रहता है;इसलिए कविता का यथातथ्य मर्म समझने के लिए रचयिता के हृदयसंगठन का इतिहासपाठ बहुत उपयोगी होता है। हृदय संगठन का इतिहास जीवनघटना से सम्बध्द है, अतएव यह बहुत उपयुक्त होगा, यदि मैं इन समस्त बातों का निरूपण इस ग्रन्थ के आदि में किसी प्रबन्धा द्वारा करूँ। निदान अब मैं इसी कार्य में प्रवृत्ता होता हूँ।

जन्म और बाल्यकाल

रेवरेड जी. एच. बेस्कट, एम. ए., वर्तमान प्रिंसिपल कानपुर क्रिश्चियन कॉलेज ने 'कबीर ऐंड दी कबीरपंथ' नाम की एक पुस्तक अंग्रेजी भाषा में लिखी है। यह पुस्तक बड़ी योग्यता से लिखी गयी है और अभिज्ञताओं एवं विवेचनाओं का आगार है। उक्त सज्जन इस ग्रन्थ के पृष्ठ 3 में लिखते हैं-''यदि हम केवल उन्हीं कहानियों पर धयान देते हैं, जिनमें ऐतिहासिक सचाई है,तो हम पर ये सब बातें स्पष्टतया प्रकट नहीं होतीं कि कबीर का जन्मस्थान कहाँ है, वे किस समय उत्पन्न हुए, उनका नाम क्या था, बचपन में वे कौन धार्मावलंबी थे, किस दशा में थे, उनका विवाह हुआ था या वे अविवाहित थे और कितने समय तक कहाँ-कहाँ रहे। यह सत्य है कि उनके नाम पर बहुत-सी कथा-वार्ताएँ कही जाती हैं। परन्तु चाहे वे कितनी ही मन बहलानेवाली क्यों न हों, उन लोगों की आवश्यकताओं को कदापि पूरा नहीं कर सकतीं, जो वास्तविक समाचार जानने के इच्छुक हैं।''

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