दानवीर रक्त से पाप धोने की कल्पना कवि ने क्योंकि वर्णन कीजिए
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कवि 'रामधारी सिंह दिनकर' ने दानवी रक्त से पाप धुलने की कल्पना इसलिए की है, क्योंकि कवि ने अनाचारी और अन्यायी व्यक्ति को दानव की संज्ञा दी है, और इन अत्याचारी और अन्यायी व्यक्तियों के शरीर से बहने वाला खून दानव रक्त के समान है। ... जब तक मनुष्य के अंदर व्याप्त दानवी विचारों वाला रक्त नहीं बहेगा तब तक पाप-शुद्धि नहीं होगी।
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