दीपावली गृहकार्य
कुछ लोग कोराना संक्रमण के दौरान शहर से गांव में चले गए। एक गांव में रहने के मानक और एक शहर में रहने के मानक के बीच अंतर 80 से 100 शब्दों में स्पष्ट कीजिए।
किसी भी विषय पर खुद एक कविता लिखें उदाहरण के लिए दिवाली या बाल दिवस अपना पसंदीदा विषय लें।
दीपावली की सभी को शुभकामनाएं
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ज़ाकिर हुसैन खोकन को कई हफ़्ते हो गए हैं, जब उन्हें आख़िरी बार अपने कमरे से बाहर निकलने की इजाज़त मिली थी. जिस कमरे में वे रहते हैं, उसमें उनके साथ 11 और लोग भी हैं.
उनके कमरे में धातु फ़्रेम से बनीं छह चारपाइयों के अलावा कोई सुविधा नहीं है. अपने बेड के सामने कुछ कपड़े या तौलिया टांगते हैं तो उन्हें थोड़ी बहुत गोपनीयता नसीब होती है.
वे कहते हैं, "दिन हो या रात, हम इस एक कमरे में बंद हैं. यह दिमाग़ पर अत्याचार है. यह किसी जेल से कम नहीं है. और यहाँ सोशल डिस्टेन्सिंग भी संभव नहीं क्योंकि इस कमरे में जगह ही नहीं है."
कोरोना से संक्रमित होने, उससे पूरी तरह ठीक हो जाने और काम पर लौटने के बाद ज़ाकिर को लगा था कि बुरा वक़्त पीछे छूट गया है. उनके हॉस्टलनूमा शयनगृह (डोरमैट्री) को जून में कोरोना वायरस से मुक्त घोषित कर दिया गया था.
लेकिन पिछले महीने वहाँ संक्रमित लोगों के एक नये क्लस्टर का पता चला, जिसके बाद वहाँ रहने वाले हज़ारों प्रवासी श्रमिकों की तरह, उन्हें भी क्वारंटीन में रहने का आदेश दिया गया.