Economy, asked by preetabhi22, 3 months ago

दीपावलिः हि आनन्दस्य उत्सवः, जनानां जीवने आनन्दं वितरतु। इयं दीपमाला अज्ञानस्य तमः
नाशयतु, सुख-समृद्धेः आलोकं ​

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Answered by yamankumar562
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