Hindi, asked by bj491003, 16 hours ago

दो पग चाले चार, लटकावे करे जय मन ऐन।
तुलसीदास कहे विचारी जो त्रण मुख ने दी नैन का हिंदी अर्थ

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Answered by ethicalhacker7049
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व्याख्या – इस पद में सुकोमल अंगों वाली सीताजी वन-पथ पर जा रही है। उनके मन की व्याकुलता का चित्रण करते हुए तुलसीदास जी कहते हैं कि राम की प्रिया जानकी ने जैसा ही रात्रि-विश्राम के पश्चात श्रृंगरवेरपुर से बाहर निकलकर बड़े धैर्य के साथ मार्ग में दो कदम रखें अर्थात वह थोड़ी दूर तक चली, वैसे ही उनके पूरे माथे पर पसीने की बूँदें छलक आई और उनके कोमल होंठ सूख गए। तब वे राम से पूछने लगीं कि हमें अभी कितना और चलना है और आप झोपड़ी कहाँ बनाएँगे? पत्नी सीताजी की ऐसी अधीरता देखकर प्रियतम राम की अत्यन्त सुंदर आँखों में आँसू भर आए और उनसे अश्रु प्रवाहित होने लगे।

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