दोपहरी कविता का भाव अपने शब्दों में लिखें
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इस कविता का मूल भाव यह है कि जीवन एक संघर्ष के समान है, जिसे कवि अग्निपथ मानता है। इस मार्ग पर आत्मविश्वास के साथ मनुष्य को आगे बढ़ना है। ... मनुष्य को चाहिए कि वह इन चुनौतियों से न घबराए। कष्टों से विचलित नहीं होते हुए भी अपने पुरुषार्थ पर भरोसा करते हुए अपने लक्ष्य की ओर बढ़ता रहे।
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Peter siad,"The rain prevented me from coming to this place".
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