दीपक के जलने मे आली ,फिरभी है जीवन की लाली। किंतु पंतग भागय लिपि काली किसका वश चलता है। दोंनो ओर पॆम पलता है। जगती वणिगवृति है रखती उसे चाहती जिससे चखती काम नहीं परिणाम मिरखती मुझे यही खलता है। पघांशों की संदभृ सहित वयाखया बताइए जी
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