दीपक और बाती के माध्यम से कवि ने ईश्वर और भक्त के संबंध को किस
प्रकार स्पष्ट किया है ?
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दीपक और बाती के माध्यम से कवि रैदास ने ईश्वर और भक्त के बीच के संबंध को इस तरह स्पष्ट किया है कि कवि रैदास कहते हैं कि हे प्रभु आप दीपक हो और हम उस दीपक की बाती हैं। हम आपके ज्ञान और प्रकाश की जोत को दिन रात जलाये रखते हैं। कवि का कहने का तात्पर्य यह है कि भक्त लोग ईश्वर की भक्ति में स्वयं को हर पल, हर समय, दिन-रात आलोकित बनाए रखते हैं।
दीपक और बाती का गहरा संबंध है। बाती के बिना दीपक अधूरा है और दीपक के बिना बाती का कोई महत्व नहीं। इसीलिए कबीरदास कहते हैं कि हे प्रभु आप हम भक्तों के बिना अधूरे हैं और आपके बिना हमारा कोई अस्तित्व नहीं। इस तरह कवि ने दीपक और बाती के अटूट संबंध का उदाहरण प्रस्तुत कर ईश्वर और भक्त के बीच के संबंध को स्पष्ट किया है।
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हृदय से अहंकार समाप्त हो जाने पर ईश्वर से साक्षात्कार की अनुभूति होती है।
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