' दीपक और बाती ' के माध्यम से कवि ने ईश्वर और भक्त के संबंध को किस प्रकार स्पष्ट किया है?
Answers
दीपक और बाती के माध्यम से कवि रैदास ने ईश्वर और भक्त के बीच के संबंध को इस तरह स्पष्ट किया है कि
कवि रैदास कहते हैं कि हे प्रभु आप दीपक हो और हम उस दीपक की बाती हैं। हम आपके ज्ञान और प्रकाश की जोत को दिन रात जलाये रखते हैं। कवि का कहने का तात्पर्य यह है कि भक्त लोग ईश्वर की भक्ति में स्वयं को हर पल, हर समय, दिन-रात आपको याद करते रहते है| अपना मन सब क्यच छोड़ कर भक्ति में लगाए रखते है|
जिस प्रकार दीपक और बाती का गहरा संबंध है। बाती के बिना दीपक अधूरा है और दीपक के बिना बाती का कोई महत्व नहीं। हे प्रभु आप हम भक्तों के बिना अधूरे हैं और आपके बिना हमारा कोई अस्तित्व नहीं। इस तरह कवि ने दीपक और बाती के अटूट संबंध का उदाहरण प्रस्तुत कर ईश्वर और भक्त के बीच के संबंध को स्पष्ट किया है।
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प्रभु जी तुम चंदन हम पानी। जाकी अंग-अंग बास समानी॥
प्रभु जी तुम घन बन हम मोरा। जैसे चितवत चंद चकोरा॥
प्रभु जी तुम दीपक हम बाती। जाकी जोति बरै दिन राती॥
प्रभु जी तुम मोती हम धागा। जैसे सोनहिं मिलत सोहागा।
प्रभु जी तुम स्वामी हम दासा। ऐसी भक्ति करै 'रैदासा॥
इस का अर्थ है क्या ?
Answer:
दूसरे पद में कवि ईश्वर के किस विशेष गुण से प्रभावित हुए ?
जो प्रभु रूपी दीपक में समाहित होकर ईश्वर की भक्ति रूपी महिमा का अलौकिक प्रकाश बिखेरते हुए