‘दीपदान’ एकांकी के शीर्षक के औचित्य पर विचार कीजिए।
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दीपदान एकांकी का शीर्षक त्याग, बलिदान, कर्तव्यनिष्ठा, देशभक्ति पर आधारित है।
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चित्तौड़ रिसायत के युवराज उदय सिंह की रक्षा के लिए पन्ना धाय अपने पुत्र के प्राणों की आहुति दे देती है। महाराणा संग्राम सिंह की म्रत्यु के बाद उनके भाई प्रथ्वी सिंह का दासी पुत्र बनवीर सिंह सत्ता हासिल करने के लिए उदय सिंह को मारने का षडयंत्र रचता है। जिसमे वह मयूर कुंड में दीपदान उत्सव का आयोजन करता है। पन्ना धाय बनवीर के षडयंत्र को भाँप जाती है, और उदय सिंह के प्राणों की रक्षा करने की योजना बनाती है। उदय सिंह की जगह अपने पुत्र चन्दन को उदय सिंह के पलंग पर सुला देती है, जिसे बाद में बनवीर द्वारा मार दिया जाता है।
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The shirshak ki sarthakata of deepdan chp.
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