दीपदान एकांकी के उद्देश्य को स्पष्ट कीजिए
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➲ ‘दीपदान’ एकांकी ‘डॉ रामकुमार वर्मा’ द्वारा लिखा गया एक प्रसिद्ध ऐतिहासिक एकांकी है। इस एकांकी का मुख्य उद्देश्य एक माँ के त्याग और बलिदान की गाथा के इर्द-गिर्द घूमता है।
इस एकांकी के प्रमुख पात्र पन्नाधाय और कुंवर उदयसिंह है तथा अन्य पात्रों में बनवीर और सोना हैं। दीपदान एकांकी की कथावस्तु 1536 ईस्वी में राजस्थान के चित्तौड़ में चित्तौड़ दुर्ग में घटित हुए घटनाक्रम को समेटे हुए हैं, जिसमें महाराणा सांगा की मृत्यु के बाद उनके पुत्र उदय सिंह, जो कि छोटे हैं, उनके संरक्षण के लिए नियुक्त पन्नाधाय उनकी रक्षा में अपने पुत्र का बलिदान तक दे देती है, लेकिन उनके ऊपर किसी तरह की आंच नहीं आने देती।
यह एकांकी इतिहास में अमर एक भारतीय नारी की उस अनमोल त्याग की मूर्ति को प्रस्तुत करता है, जो अपने कर्तव्य पथ पर चलती है और अपने कर्तव्य का निर्वहन करने के लिए अपने पुत्र मोह को भी आड़े नहीं आने देती यानी उसे अपने पुत्र की रक्षा करने से पहले अपने स्वामी पुत्र की रक्षा करना अधिक उचित लगा, क्योंकि ये उसका परम कर्तव्य था।
एकांकीकार रामकुमार वर्मा ने इस एकांकी में एकांकी के सारे तत्वों को समाहित किया है। रामकुमार वर्मा एकांकी के सिद्धहस्त माने जाते हैं। पात्रों की संवाद योजना और दृश्य प्रवाह में अद्भुत तारतम्यता है। इसलिये प्रत्येक घटनाक्रम सजीव सा जान पड़ता है।
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