दुर्बुद्धि को अपनाने का क्या परिणाम होता है ? (उत्तर-सीमा : 60 शब्द)
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दुर्बुद्धि को अपनाने से मनुष्य का जीवन नरक हो जाता है और गलत प्रवृति मे शामिल हो जाता है |
Step-by-step explanation:
उपासना की दृष्टि से कई लोग काफी बढ़-चढ़े होते हैं। यह प्रसन्नता की बात है कि जहाँ दूसरे लोग भगवान् को बिल्कुल ही भूल बैठे हैं, वहाँ वह व्यक्ति ईश्वर का स्मरण तो करता है, औरों से तो अच्छा है। इसी प्रकार जो बुराइयों से बचा है, अनीति और अव्यवस्था नहीं फैलाती, संयम और मर्यादा में रहता है, वह भी भला है। उसे बुद्धिमान् कहा जाएगा, क्योंकि दुर्बुद्धि को अपनाने से जो अगणित विपत्तियाँ उस पर टूटने वाली थीं, उनसे बच गया। स्वयं भी उद्विग्न नहीं हुआ और दूसरों को भी विक्षुब्ध न करने की भलमनसाहत बरतता रहा। ये दोनों ही बातें अच्छी हैं। ईश्वर का नाम लेना और भलमनसाहत से रहना, एक अच्छे मनुष्य के लिए योग्य कार्य है। उतना तो हर समझदार आदमी को करना ही चाहिये था। जो उतना ही करता है, उसकी उतनी तो प्रशंसा की ही जाएगी कि उसने अनिवार्य कर्तव्यों की उपेक्षा नहीं की और दुष्ट दुरात्माओं की होने वाली दुर्गति से अपने को बचा लिया।