दारोगाजी की तरक्की रुकने की क्या वजह थी ? - घोड़ा ना देने के कारण अंग्रेज अफसरों ने उनसे नाराज रहते थे और इससे दरोगा जी की तरक्की नहीं हो पाई
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दारोगाजी की तरक्की इसलिए रुकी हुई थी क्योंकि उन्होंने अंग्रेजों को घोड़ा देने से मना कर दिया।
Explanation:
- कहानी के प्लॉट कहनी शिवपूजन सहाय द्वारा रचित है।
- इस कहानी में एक दारोगाजी है जो की बेहद ईमानदार काबिल और निष्पक्ष है, उनके पास एक बेहद ही सुंदर घोड़ा है, घोड़े की कीमत तो केवल सात रुपया है परंतु वो तुर्की घोड़ों से भी तेज थी।
- लेखक उस घोड़े को बारूद की पुड़िया कह कर संबोधित करते है।
- बड़े बड़े अंग्रेज अफसर दारोगजी के घोड़े को खरीदना चाहते थे परंतु दरोगा जी को अपने घोड़े से अत्यधिक प्रेम था इसलिए उन्होंने उसे नहीं बेचा।
- इस कारण से अंग्रेज अफसरों से उनकी नही बनी और अफसर की काबिलियत रखने वाले शख्स की तरक्की रह गई और वो दरोगा की रह गए।
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