Hindi, asked by Jashansraan143, 6 months ago

दुर्गुण होते हुए भी माता को क्यों जरूरी माना गया है​

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Answered by lakshmimandi2248
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Explanation:

1. निम्नलिखित गद्यांश को ध्यानपूर्वक पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के लिए सही उत्तर वाले विकल्प चुनकर लिखिएः

मनुष्य जन्म से ही अहंकार का इतना विशाल बोझ लेकर आता है कि उसकी दृष्टि सदैव दूसरों की बुराइयों पर ही टिकती है। आत्मनिरीक्षण को भुलाकर साधारण मानव केवल परछिद्रान्वेषण में ही अपना जीवन बिताना चाहता है। इसके मूल में उसकी ईर्ष्या की दाहक दुष्प्रवृत्ति कार्यशील रहती है। दूसरे की सहज उन्नति को मनुष्य अपनी ईर्ष्या के वशीभूत होकर पचा नहीं पाता और उसके गुणों को अनदेखा करके केवल दोषों और दुर्गुणों को ही प्रचारित करने लगता है। इस प्रक्रिया में वह इस तथ्य को भी विस्मृत कर बैठता है कि ईर्ष्या का दाहक स्वरूप स्वयं उसके समय, स्वास्थ्य और सद्वृत्तियों के लिए कितना विनाशकारी सिद्ध हो रहा है। परनिंदा को हमारे शास्त्रों में भी पाप बताया गया है। वास्तव में मनुष्य अपनी न्यूनताओं, अपने दुर्गुणों की ओर दृष्टि उठाकर देखना भी नहीं चाहता क्योंकि स्वयं को पहचानने की यह प्रक्रिया उसके लिए बहुत कष्टकारी है।

(i) अहंकार के कारण मनुष्य पर क्या प्रभाव पड़ता है?

(क) वह अपने को सर्वश्रेष्ठ समझता है

(ख) उसकी बात सभी मानते हैं

(ग) वह दूसरों के दोष देखता रहता है

(घ) वह अपने गुणों का बखान करता है

(ii) दूसरों की उन्नति को मनुष्य क्यों नहीं देखना चाहता?

(क) स्वयं धनवान होने के कारण

(ख) अपने बड़प्पन के कारण

(ग) स्वयं गुणी होने के कारण

(घ) ईर्ष्या भाव के कारण

(iii) स्वास्थ्य और सदाचार नष्ट हो जाते हैं

(क) ईर्ष्या के वश में होने पर

(ख) क्रोध के वश में होने पर

(ग) स्वास्थ्य के नियमों का पालन न करने पर

(घ) अनैतिक कार्य करने पर

(iv) अहंकार दूर करने के लिए जरूरी है

(क) मन को शांत रखना

(ख) आत्मनिरीक्षण करना

(ग) परछिद्रान्वेषण से बचना

(घ) निरंतर चिंतन-मनन करना

(v) गद्यांश में किस प्रकार के शब्दों की अधिकता है?

(क) तत्सम

(ख) तद्भव

(ग) देशज

(घ) आगत

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