दुर्गा पूजा पर निबंध
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दुर्गा पूजा हिन्दू धर्म के मुख्य त्योहारों में से एक है। Durga Puja को लोग दुर्गोत्सव या शरदोत्सव के नाम से भी जानते हैं। आमतौर पर दुर्गा पूजा की तैयारियां महीनों पहले से ही शुरू हो जाती है। दुर्गा पूजा हिन्दुओं का महत्वपूर्ण त्यौहार माना जाता है। Durga puja in bengali ज्यादा प्रसिद्ध है क्योकि यह बंगालियों का प्रमुख त्यौहार होता है। दुर्गा पूजा की शुरुआत तब हुई जब भगवन राम ने रावण को मारने के लिए देवी दुर्गा से शक्ति प्राप्त करने के लिए पूजा की थी। दुर्गा पूजा का अवसर बहुत ही खुशियों से भरा होता है। खासकर विद्यार्थियों के लिए क्युकी इस मौके पर उन्हें छुट्टियां मिलती है। इस अवसर पर घर में नए कपड़ों की खरीददारी की जाती है। कुछ बड़े स्थानों पर मेलों का भी आयोजन किया जाता है। बच्चों का दुर्गा पूजा के अवसर पर उत्साह दोगुना हो जाता है।
देवी दुर्गा का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए लोग पुरे नौ दिनों का उपवास रखकर पूजा करते हैं। हालाँकि कुछ लोग केवल पहले और आखरी दिन उपवास रखते हैं। Durga Puja Celebration पूरे दस दिनों तक चलता है। लेकिन माँ दुर्गा की मूर्ति को सातवें दिन से पूजा जाता है। अंतिम के तीन दिन पूजा का उत्सव बहुत ही धूमधाम से मनाया जाता है। हर गली मोहल्ले में इसकी अलग ही झलक दिखती है। तरह तरह के पंडाल बनाये जाते हैं। दुर्गा पूजा उत्सव के दौरान मेला और मीना बाजार भी लगता है।
माँ दुर्गा को शक्ति की देवी कहा जाता है। उनके दस हाथ होते हैं और वह शेर पर विराजमान होती है। यह माना जाता है की महिषासुर नामक राजा ने स्वर्ग में देवताओं पर आक्रमण कर दिया था। वह बहुत ही शक्तिशाली था और उसे कोई भी हरा नहीं सकता था। उस समय स्वर्ग के देवताओं को महिषासुर के प्रकोप से बचाने के लिए ब्रम्हा, विष्णु, और शिव के द्वारा एक आंतरिक शक्ति का निर्माण किया गया जिसका नाम दुर्गा रखा गया।
देवी दुर्गा को आंतरिक शक्तियां प्रदान की गयी थी जिससे की वे महिषासुर का वध कर सके। माँ दुर्गा ने पुरे दस दिनों तक महिषासुर से युद्धकिया और दसवें दिन उसे मार डाला। दसवें दिन को दशहरा या विजयादशमी के नाम से भी जाना जाता है। रामायण के अनुसार भगवान राम से रावण को मारने से पहले माँ दुर्गा से आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए चंडी पूजा की थी।दुर्गा पूजा के दसवे दिन भगवान राम ने रावण को मारा इसलिए इस दिन को हम विजयादशमी के नाम से भी जानते हैं। दुर्गा पूजा उत्सव को अच्छाई की बुराई पर जीत के प्रतीक के तौर पर मनाया जाता है।
दुर्गा पूजा बहुत ही महत्वपूर्ण त्योहार है इसमें माता के नौ रूप की पूजा की जाती है नौ रूप का सम्मान से पूजा की जाती है और माता का स्वागत किया जाता है अपने घर में इसमें लो रात होती है और एक आखिरी रात जिसे हम लोग विजयदशमी भी कहते हैं इन 9 दिनों में पहले दिन से यह पूजा शुरु होती है माता की पूजा रोज की जाती है सुबह और शाम और जब नौवां दिन आता है 9 या 9 से अधिक लड़कियों को बुलाया जाता है और उनकी पूजा की जाती है क्योंकि यह माना जाता है कि लड़कियों में मां वास करती है लड़कियां माता होती है इसलिए 9 लड़कियों को बुलाकर उनकी पूजा की जाती है उन्हें खिलाया जाता है आदर्श से और यह बात बिल्कुल सच है कि हर लड़कियां माता का रूप होती है इसलिए नौवां दिन को लड़कियों की पूजा की जाती है मतलब माता की पूजा की जाती है और फिर दसवें दिन विजयदशमी को विसर्जन हो जाता है माता जी का और रात को रावण के पुतले को जलाया जाता है क्योंकि विजयदशमी के दिन श्री राम ने रावण का अंत किया था और वनवास से वापस आए थे इसलिए रावण के पुतले को जलाया जाता है इसलिए क्योंकि इस दिन बुराई का अंत हुआ था और सभी लोग अपना सारा दुख रावण के पुतले में डालकर जलाते हैं और खुशी-खुशी रहते हैं सारे बुरे का कर्म को या कुछ भी बुरी चीजों को जला देते हैं और खुशी-खुशी रहते हैंI