Hindi, asked by ramprsaddhangardhang, 6 months ago

दुर्गम बर्फानी घाटी में, शत-सहस्त्र फुट ऊँचाई पर
अलख-नाभि से उठने वाले, निज के ही उम्मादक परिमल
के पीछे धावित हो होकर, तरल तरूण कस्तूरी मृग को
अपने पर चढते देखा है, बादल को घिरते देखा है।

Answers

Answered by IMYASH2004
5

Answer:

kya karna hai iiska ask full QUESTION

Answered by HrishikeshSangha
1

उपर्युक्त पंक्तियाँ बादलों को घिरते देखा है नामक कविता से ली गयी है।

  • कवी इन पंक्तियों के माध्यम से बताते है की जो बर्फ की चादर से लिपटी सैकरो हज़ारों फुट ऊंची पहाड़ों पर जहा मानव का पहुंचना असंभव है वहाँ कस्तूरी मृग पाए जाते है।
  • यह मृग वहाँ दिखाई पड़ते है। इन मृगों के नाभि में ही कस्तूरी पाई जाती है जो इतनी सुगन्धित होती है की मृग इसे पाने को व्याकुल हो जाते है। वे यहाँ वहाँ इसे ढूंढने के लिए दौरते फिरते रहते है।
  • वे अपने पे ही चीरते है इस सुगंध को पाने के लिए। ऐसी ही जगह पर जहा मृग पाए जाते है वही कवी ने बादलों को घिरते देखा है।

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