दीर्घ उत्तरीय, प्रश्नों के उत्तर दीजिए
प्रश्न 10:- सहायक क्रियाओं के साथ बंद प्रश्न की उदाहरण सहित तालिका बनाइए।
प्रश्न 11:- लक्ष्य निर्धारण का अर्थ समझाइए एवं लाभों की सूची बनाइए!
प्रश्न 12:-संज्ञा, सर्वनाम, क्रिया विश्लेषण किसे कहते है ? उदाहरण सहित समझाइए।
प्रश्न 13:- समय का प्रबंधन एवं इसके चरणों को उदाहरण सहित समझाइए।
प्रश्न 14:-स्वा प्रबंधन क्या है ? स्वप्रबंधन के महत्व को समझाइए!
प्रश्न 15:- स्मार्ट विधि का उपयोग करते हुए अल्प और दीर्घकालिक लक्ष्यों को बनाइए!
Answers
Explanation:
प्रश्न 10:- (i) क्या आपने अच्छी ग्राहक सेवा का अनुभव किया?
(ii) क्या आप फिर से हमारे उत्पाद / सेवा का उपयोग करने पर विचार करेंगे?
(iii) आज आप जो ढूंढ रहे थे क्या वह आपको मिला?
(iv) क्या आप हमारे साथ अपने अनुभव से खुश हैं?
(v) क्या आपको हमारा उत्पाद / सेवा पसंद आई?
(vi) क्या आप आज उत्पाद / सेवा खरीदने में रुचि रखते हैं?
प्रश्न 11:- लक्ष्य निर्धारण एंटरप्रेनर्शिप से प्रत्यक्ष रुप से संबंधित होता है। सफलता पाने के लिए व्यक्तिगत और व्यावसायिक स्तर पर सही लक्ष्य निर्धारित करना महत्वपूर्ण होता है। सफलतापूर्वक अपने लक्ष्यों को पाने के लिए यह भावनात्मक और बौद्धिक संतुलन की मांग करता है।
प्रश्न 12:-
क्रिया विशेषण:- जिन शब्दों से क्रिया की विशेषता का पता चलता है उन्हें क्रियाविशेषण कहते हैं। जैसे - वह धीरे-धीरे चलता है। जैसे - सबेरे, सायं, आजन्म, क्रमशः, प्रेमपूर्वक, रातभर, मन से आदि। जैसे - यहाँ, वहाँ, अब, कब, इतना, उतना, जहाँ, जिससे आदि।
सर्वनाम उन शब्दों को कहा जाता है, जिन शब्दों का प्रयोग संज्ञा अर्थात किसी व्यक्ति, वस्तु, स्थान आदि के नाम के स्थान पर करते हैं। जैसे - हिंदी के मूल सर्वनाम 11 हैं- मैं, तू, आप, यह, वह, जो, सो, कौन, क्या, कोई, कुछ। प्रयोग की दृष्टि से सर्वनाम 6 हैं- पुरुषवाचक सर्वनाम, निश्चयवाचक सर्वनाम, अनिश्चयवाचक सर्वनाम, संबंधवाचक सर्वनाम, प्रश्नवाचक सर्वनाम, निजवाचक सर्वनाम।
किसी जाति, द्रव्य, गुण, भाव, व्यक्ति, स्थान और क्रिया आदि के नाम को संज्ञा कहते हैं। जैसे - पशु (जाति), सुंदरता (गुण), व्यथा (भाव), मोहन (व्यक्ति), दिल्ली (स्थान), मारना (क्रिया)।
प्रश्न 13:- समय प्रबंधन के लिए स्वयं का मूल्यांकन करें. एक डायरी में रोज की बातें लिखें. इससे आपको पता चलेगा कि आप कितना समय उपयोगी कार्य को देते हैं और कितना समय अनुपयोगी और बेकार कामों को देते हैं। किसी भी कार्य को करने के लिए योजना बनाएं अर्थात प्लॉनिंग करें और उसके अनुसार ही समय पर कार्यों का निष्पादन करें. इसके लिए एक डायरी में किए जाने वाले कार्यों को लिखें यानि सूची बनाएं और जैसा आपने तय किया है उसके अनुसार उसी क्रम और समय के अनुसार अपने कार्यों को करते जाएं. योजना बनाते समय आपको अपने कार्यो की प्राथमिकता स्वयं ही तय करना होगा कि किस काम को पहले करना है और किस काम को बाद में करना है। काम करने के दौरान उस कार्य का आंकलन भी करते जाए कि जैसा आपने सोचा था वैसा ही काम हो रहा है कि नहीं. समय प्रबंधन का यह मतलब नहीं है कि आप गल्तियां नहीं करेगें. यदि आपसे गल्ती हो जाती है तो उसे तत्काल सुधार कर आगे बढ़े. लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि आप गल्तियों भरा काम करें वरन इसका आश्य है कि आप काम समय पर करें और सहीं काम करें. काम करने के दौरान अपने कार्य का आंकलन करने से आप में किसी भी कार्य को सही तरीके से और सही समय में करने का पूर्वानुमान करने की दक्षता बढ़ेगी और अगली बार जब भी आप दूसरा काम करेगें आपका आत्मविश्वास और बेहतर होता जाएगा. यहां याद रखे कि आलस्य समय प्रबंधन का घोर दुश्मन है। यदि काम के दौरान आप आलस्य करते है या थोड़ा लापरवाह हो जाते हैं तो आपकी बनी बनाई योजना धराश्यी हो सकती है। इसलिए किसी भी कार्य को पूरा मन लगाकर और सतर्कतापूर्वक करें. एक भी गल्ती आपके कार्य में बाधा बन सकती है या उसे विपरीत दिशा में ले जा सकती है।
प्रश्न 14:- स्व-प्रबंधन एक ऐसी तकनीक है जिसमें अस्थायी संसाधनों (जिसे समय प्रबंधन भी कहा जाता है) का तर्कसंगत उपयोग शामिल है। यह तकनीक कम भार पर सर्वोत्तम परिणाम प्राप्त करने की अनुमति देती है। हम संसाधनों को बचाने वाले कुशल तरीकों के उपयोग के बारे में भी बात कर रहे हैं।
प्रश्न 15:- अल्पकालिक :-
1- परीक्षाओं में अच्छे नंबरों से पास होना
2- क्लासेस में पढ़ाई करना
3- कोरोनाकऻल मैं घर से बाहर बिना मास्क लगाए ना निकलना
दीर्घकालिक:-
1- अपने जीवन में सफल बन्ना
HOPE IT HELPS :)
PLEASE MARK IT AS BRAINLIEST AND CLICK ON THANKS IF THE ANSWER WAS SOMEHOW USEFUL ::)