दुर्घटना से देर भली पर कोई मौलिक कहानी लिखिए
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मैने यह कविता की हैं जनहित में जारी, सड़क दुर्घटनाओ का सिलसिला युही हैं हमेशा से जारी..
कोई नही हैं जो ले इन सड़क दुर्घटनाओ की पूर्णतः ज़िम्मेदारी, क्या पता कल किसकी हो इस सड़क हादसे में मरने की बारी..
दुर्घटना से देर भली सभी यह बखुभी जानते हैं, लेकिन वाहन चलाते समय भला लोग कहा ट्रॅफिक नियमो को मानते हैं..
हेलमेट और सीट बेल्ट का महत्व सभी-भली भाति जानते हैं, अपने जीवन को दाव में लगा कहा आपनो का कहा मानते हैं..
जिसे देखो जल्दबाज़ी में खामोखा अपनी गाड़ी की रफतार बढाये, गुज़ारिश हैं हमारी सबसे की मदिरा पीकर कृपिया गाड़ी न चलाये..
कृपिया कर माता-पिता अपने छोटे बच्चो से वाहन ना चलवाए, बगैर लाइसेन्स गाड़ी चलाकर अपने बच्चो से अपराध ना करवाये..
हम भी क्या इन पढ़े-लिखे बेवकूफ़ो को क्या बार बार समझाए, की कृपिया सभी लोग वाहन धीमा चलाये और अपना कीमती जीवन बचाये..
सड़क सुरक्षा को अनदेखा कर मौत को ना बेवजह गले लगाये, अपने घर पर इन्तज़ारकर रहे परिवार वालो का सोच वाहन चलाये..
चलो हम सड़क सुरक्षा से जुड़े सभी नियमो का अनुसरण करे, सड़क सुरक्षा के गंभीर मुद्दे पर लोगो का ध्यान आकर्षण करे….
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सड़क दुर्घटना पर निबंध Essay On road accident Sadak durghatna in hindi
आज दुनिया भर में सड़क हादसे भयावह तरीके से बढ़ रहे हैं. हमारे भारत में भी उतरोतर सड़क दुर्घटनाओं की संख्याओं में बेहताशा वृद्धि हो रही हैं. मृत्यु के इस खेल में हजारों बेकसूर लोग मारे जाते हैं.
वाहनों की बढ़ती संख्या तथा लापरवाही के कारण आज सड़क पर चलना या वाहन चलाना जोखिम भरा हो गया हैं. यातायात नियमों की अवहेलना तथा नशे में गाड़ी चलाना, कम उम्रः के लडकों द्वारा स्टंट आदि के कारण सड़क हादसे हो जाते हैं.
प्रत्येक सड़क दुर्घटना द्र्दांत होती हैं मगर ट्रक और बस जैसे बड़े वाहनों के साथ घटित हादसों में अधिक जान माल का नुकसान होता हैं. देश में आज एक ऐसा बड़ा वर्ग बन गया हैं जिन्होंने सड़क हादसों में अपने कीमती अंग खो दिए हैं तथा अपाहिज होकर अपना जीवन काट रहे हैं.
उनके जीवन की पीडाओं को देखकर विज्ञान की इस प्रगति से दिल उब सा जाता हैं. हमारा सड़क परिवहन तंत्र आज भी 50 के दशक के ढर्रे से चल रहा हैं पुरानी तकनीक के ट्रक और अनपढ़ ड्राईवर कम सैलरी तथा प्रशिक्षण के अभाव व बिना जांच पड़ताल पैसे के बल आसानी से ड्राइविंग लाइसेंस मिल जाने के कारण सड़क व्यवस्था बेहाल हैं.
देश के अधिकतर वाहन चालकों को सड़क परिवहन के नियमों का भी ज्ञान नहीं हैं. यही नाइल्मी आगे चलकर भयावह सड़क हादसों को आमंत्रित करती हैं. जिनमें कई बेकसूर लोग भी मारे जाते हैं.
हाइवे तथा सडकों के किनारे शराब की दुकाने भी सड़क हादसों को बढ़ाने में कारगर है नशे अथवा जल्दबाजी में हादसे घटित हो जाते हैं. दुर्भाग्य से मैं भी साक्षात मृत्यु के इस तांडव का साक्षी रहा हु.
पिछले साल मैं अपनी स्कूल के बच्चों के साथ पिकनिक के लिए जा रहे थे. शाम को पिकनिक से लौटकर आ रहे थे हम जिस बस में सवार थे उसी के सामने तेज गति से एक ट्रक दौड़ा आ रहा था. सम्भवतः ड्राईवर शराब के नशे में था.
वह ट्रक को सड़क के दोनों तरफ भगाते हुए बस में गिरा दिया. इस भयानक हादसे में बस का अगला हिस्सा अस्त व्यस्त हो गया. ड्राईवर समेत आगे बैठे सभी यात्रियों की इस दुर्घटना में मृत्यु हो गई.
भिड़त इतनी भयावह थी कि बस के शीशे टूट गये जिससे कई लोगों को भयानक चोटे आई. कई लोग घायल हुए तथा चारों ओर कोहराम मच गया. काफी समय तक मैं भी समझ नहीं पाया कि क्या हुआ हैं.
मगर कुछ वक्त बाद जब मैंने देखा तो पुलिस और कई लोग मेरे आस पास थे. घायलों को एम्बुलेंस में ले जाया जा रहा था. मेरे एक स्टूडेंट्स को थोड़ी सी चोट आई, इश्वर की कृपा से सभी बच्चें सुरक्षित बच गये.
मेरे जीवन में यह अब तक का सबसे भयावह नजारा था. मौत को इतना करीब से देखकर भी मैं बच्चो सहित जीवित था यह विश्वास कर पाना कठिन था.
आज भी मैं किसी को शराब पीते देखता हूँ तो उन्हें रोकने का प्रयत्न करता हूँ. उस दिन महज एक व्यक्ति के नशे में होने के कारण 50 से अधिक लोगों का जीवन संकट में पड़ गया था. ईश्वर की कृपा से अधिकतर को मामूली चोटे ही थी,
मगर जिनकी मृत्यु हो गई उनका जिम्मेदार वह ड्राईवर उसका नशा लापरवाही तथा हमारा तंत्र था जो ऐसे ही लाइसेंस जारी कर नशेड़ी लोगों को वाहन चलाने की अनुमति देता हैं. यह महज एक वाकया था न जाने हमारे देश में नित्य कितनी ऐसी ही घटनाओं में लोगों को प्राण गवाने पड़ते हैं.