India Languages, asked by jaipratapsengar20, 1 month ago

दुर्जनस्य मैत्री तु छायेव भवति-
आरम्भगुर्वी क्षयिणी क्रमेण, लघ्वी पुरा वृद्धिमती च पश्चात् ।
दिनस्य पूर्वार्द्धपरार्द्धभिन्ना, छायेव मैत्री खलसज्जनानाम्

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