दूर के ढोल सुहावने होते हैं इस कथन का भाव पल्लवन कर लिखिए
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यह कहावत है कि 'दूर के ढोल सुहावने होते हैं। ' इसका अभिधा अर्थ यह है कि यदि ढोल पास में बजे तो उसका शोर बड़ा कर्णकटु और कर्कश होता है। किन्तु यही ढोल की ध्वनि दर से आये तो बड़ी कर्णप्रिय होती है। दूर से आती ढोल की थाप सुनकर मानव-मन पुलकित हो जाता है और कल्पना करने लगता है कि कहीं कोई खुशी मनायी जा रही है
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दूर के ढोल सुहावने होते हैं, क्योंकि उनकी कर्कशता दूर तक नहीं पहुँचती अथार्थ दूर से कई चीजे सुहावनी लगती परन्तु पास आने पर वही सुहावनी नहीं लगती है जैसे कि ढोल दूर से सुनने पर तो बहुत अच्छा लगता है पर पास से सुनाने पर कर्कश लगता है |
1. शहर में रह कर पहाड़ों की सुंदरता पर हर कोई मोहित होता है लेकिन वहां जीवन यापन करना सच में दूर के ढोल सुहावने लगने जैसा है।
2. मोहन जब तब गांव में रहकर कमा रहा था उसे हमेशा मुंबई जाकर मजदूरी करने की जिद करता था । लेकिन जब उसने वहां जाकर देखा तो उसे लगा कि यहां मजदूरी करने से तो अच्छा था कि गांव में ही मजदूरी की होती तो ज्यादा अच्छा था। किसी ने सही ही कहा था कि दूर के ढोल सुहावने लगते है।
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