दूर के सिवान से क्या वो कराता था चैप्टर दादी मां
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लेखक की कमजोरी क्या है? लेखक की कमजोरी यह है कि थोड़ी-सी कठिनाई आने पर उसका मन प्रायः व्यथित हो जाता है, यानी वह घबरा जाता है।
उत्तर - लेखक को अपनी दादी माँ की याद के साथ-साथ बचपन की कई बातों की याद आ जाती है। उनमें से कुछ निम्नलिखित हैं।
i. क्वार के दिनों में गाँव के चारों ओर पानी के हिलोरें, दूर के सिवान से बहकर आए नाना प्रकार की चीजें, पानी की सड़ने की विचित्रा गंध, किनारों पर झागभरे जलाशयों में धमाके से कूदना अदि।
ii. आषाढ़ में आम और जामुन, अगहन में चिउड़ा और गुड़, चैत के दिनों में लाई के साथ गुड़ की पट्टी खाना।
iii. बीमार होने पर दादी द्वारा की गई स्नेहपूर्ण देखभाल।
iv. किशन भैया की शादी में चोरी से औरतों का अभिनय देखना।
v. दादी माँ का धन्नों को कर्ज के लिए डाँटना फिर माफ़ कर देना।
vi. दादी माँ का पिताजी को बुरे वक्त में अपना सोने का कंगन देना।
प्रश्न-22 लेखक बचपन और अब की बीमारी में क्या अंतर महसूस करता है? उत्तर - बचपन में जब लेखक बीमार पड़ता तो दादी माँ बड़े स्नेह से उसका देख भाल करतीं। दिन-रात चारपाई के पास बैठी रहतीं, कभी पंखा झलतीं, कभी जलते हुए हाथ-पैर कपड़े से सहलातीं, सर पर दालचीनी का लेप करतीं, बीमार वाला खाना बनवाती और बीसों बार छू-छूकर ज्वर का अनुमान करतीं। आज जब लेखक बीमार पड़ता है तो नौकर पानी दे जाता है, मेस-महाराज अपने मन से पकाकर खिचड़ी या साबू। डॉक्टर साहब आकर नाड़ी देख जाते हैं और कुनैन मिक्सचर की शीशी की तिताई के डर से बुखार भाग भी जाता है, पर दादी की स्नेहपूर्ण देखभाल नहीं मिलती इसलिए लेखक को अब ऐसे बुखार को बुलाने का जी नहीं होता।