दुर्खिम के नजरिए से 'पवित्र' और 'लौकिक' के अंतर को स्पष्ट कीजिए।
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¿ दुर्खिम के नजरिए से 'पवित्र' और 'लौकिक' के अंतर को स्पष्ट कीजिए।
✎... दुर्खिम के नजरिए से ‘पवित्र’ और ‘लौकिक’ क्षेत्र में गहरा अंतर होता है। पवित्र और लौकिक क्षेत्र एक दूसरे के विपरीत क्षेत्र होते हैं। इन दोनों के बीच धार्मिक अनुष्ठानों और कर्मकांडों के द्वारा अंतर स्थापित किया जाता है।
पवित्र क्षेत्र को एक दिव्य और आलौकिक क्षेत्र माना जाता है, जिसे उच्च स्तर भी प्रदान किया जाता है। पवित्र क्षेत्र के प्रति सम्मान की भावना प्रकट की जाती है। पवित्र क्षेत्र को लौकिक क्षेत्र से अधिक महत्व और प्रतिष्ठा दी जाती है, और इसके अस्तित्व को सामाजिक नियमों द्वारा सुरक्षित किया जाता है, नियमों का पालन न करने पर अहित होने के भय का भाव भी इस क्षेत्र से जुड़ा होता है। पवित्र में कुछ विशिष्ट वर्ग के लोगों का ही अधिपत्य होता है।
जबकि इसके विपरीत लौकिक क्षेत्र आम जीवन के दैनिक क्रियाकलापों से संबंधित क्षेत्र माना गया है। लौकिक क्षेत्र को पवित्र क्षेत्र के समकक्ष कम उच्चता का दर्जा दिया जाता है। लौकिक क्षेत्र में हर वर्ग के साधारण प्राणी का समावेश होता है।
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