द्रोणाचार्य को हस्तिनापुर में राजकुमारों को अस्त्र - विद्या सिखाने का काम कैसे मिला ?
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बर्तन से पैदा हुए थे गुरु द्रोणाचार्य
बर्तन से पैदा हुए थे गुरु द्रोणाचार्ययह देखकर उन्होंने अपने वीर्य को द्रोण नामक एक बर्तन में एकत्रित कर लिया। उसी में से द्रोणाचार्य का जन्म हुआ था। महर्षि भरद्वाज ने पहले ही आग्नेयास्त्र की शिक्षा अपने शिष्य अग्निवेश्य को दे दी थी। अपने गुरु के कहने पर अग्निवेश्य ने द्रोण को आग्नेय अस्त्र की शिक्षा दी।
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द्रोणाचार्य को हस्तिनापुर में राजकुमारों को अस्त्र - विद्या सिखाने का काम कैसे मिला ?
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