द्रोण ने एकलव्य को अपना शिष्य स्वीकार क्यों नहीं किया
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महाभारत में वर्णित कथा के अनुसार एकलव्य धनुर्विद्या सीखने के उद्देश्य से द्रोणाचार्य के आश्रम में आये किन्तु निषादपुत्र होने के कारण द्रोणाचार्य ने उन्हें अपना शिष्य बनाना स्वीकार नहीं किया। ... कुत्ते के भौंकने से एकलव्य की साधना में बाधा पड़ रही थी अतः उसने अपने बाणों से कुत्ते का मुँह बंद कर दिया।
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