Hindi, asked by adarshjhariya5192, 1 year ago

द्रुपद और द्रोणाचार्य भी सिखाते सहपाठी थे इनकी मित्रता और शत्रुता की कथा महाभारत से खोजकर सुदामा के कथानक से तुलना कीजिए




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Answered by Yuvrajpaul
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उस काल मारे क्रोध के तन कांपने उसका लगा,
मानों हवा के वेग से सोता हुआ सागर जगा।
मुख-बाल-रवि-सम लाल होकर ज्वाल सा बोधित हुआ,
प्रलयार्थ उनके मिस वहाँ क्या काल ही क्रोधित हुआ?

युग-नेत्र उनके जो अभी थे पूर्ण जल की धार-से,
अब रोष के मारे हुए, वे दहकते अंगार-से ।
निश्चय अरुणिमा-मित्त अनल की जल उठी वह ज्वाल सी,
तब तो दृगों का जल गया शोकाश्रु जल तत्काल ही।

साक्षी रहे संसार करता हूँ प्रतिज्ञा पार्थ मैं,
पूरा करुंगा कार्य सब कथानुसार यथार्थ मैं।
जो एक बालक को कपट से मार हँसते हैँ अभी,
वे शत्रु सत्वर शोक-सागर-मग्न दीखेंगे सभी।

अभिमन्यु-धन के निधन से कारण हुआ जो मूल है,
इससे हमारे हत हृदय को, हो रहा जो शूल है,
उस खल जयद्रथ को जगत में मृत्यु ही अब सार है,
उन्मुक्त बस उसके लिये रौ'र'व नरक का द्वार है।

उपयुक्त उस खल को न यद्यपि मृत्यु का भी दंड है,
पर मृत्यु से बढ़कर न जग में दण्ड और प्रचंड है ।
अतएव कल उस नीच को रण-मध्य जो मारूँ न मैं,
तो सत्य कहता हूँ कभी शस्त्रास्त्र फिर धारूँ न मैं।

अथवा अधिक कहना वृथा है, पार्थ का प्रण है यही,
साक्षी रहे सुन ये वचन रवि, शशि, अनल, अंबर, मही।
सूर्यास्त से पहले न जो मैं कल जयद्रथ-वध करूँ,
तो शपथ करता हूँ स्वयं मैं ही अनल में जल मरूँ।
Answered by bhatiamona
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कृष्ण और सुदामा की तरह द्रुपद और द्रोणाचार्य भी बचपन में दोस्त थे। दोनों एक ही आश्रम में पढ़ते थे। एक बार खेल-खेल में ही द्रुपद ने द्रोणाचार्य को वचन दिया कि राजा बनने के बाद वे अपना आधा राज्य उन्हें दे देंगे। शिक्षा पूरी होने के बाद जो द्रुपद राजा बने, तो इसी पुत्र द्रोणाचार्य उन से आर्थिक सहायता मांगने गए। लेकिन तब तक द्रुपद पर घमंड हावी हो चुका था। उन्होंने द्रोणाचार्य को अपमानित करके महल से निकाल दिया। बाद में द्रोणाचार्य ने पांडवों की मदद से जो द्रुपद का मानमर्दन किया था।

इस घटना के विपरीत श्री कृष्ण ने ना केवल सुदामा की प्रेम पूर्वक आवभगत की बल्कि उन्हें ऐश्वर्य और वैभवता भी प्रदान की। यह काम भी श्रीकृष्ण ने अप्रत्यक्ष रूप से किया जिससे उनके मित्र सुदामा के आत्मसम्मान को कोई ठेस न लगे।

इन दोनों घटनाओं से स्पष्ट होता है कि जहां  द्रुपद ने अपने मित्र को अपमानित कर मित्रता को कलंकित किया , वहीं श्रीकृष्ण ने अपने मित्र की सहायता करके आदर्श मित्रता का उदाहरण प्रस्तुत किया।।


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