Hindi, asked by aryansingj19, 6 months ago

दुर्योधन ने एंकात में धृतराष्ट्र से क्या कहा?
युधिष्ठिर ने अपने भाइयों के साथ क्या शपथ ली?​

Answers

Answered by Vikramjeeth
7

Explanation:

दुर्योधन ने धृतराष्ट्र से कहा "पिता जी, जल्दी ही हम ऐसा कोई उपाय करें, जिससे हम सदा के लिए निश्चित हो जाएँ।"

इसपर राजा युधिष्ठिर ने यह प्रतिज्ञा ली कि- मैं अपने भाईयों और अन्य राजाओं से कभी कड़वी बात नहीं बोलूंगा, बन्धु बांधवों की आज्ञा में रहकर सदा उनकी मूहमांगी वस्तुएं लाने का प्रयत्न करुंगा, इस प्रकार समतापूर्ण व्यवहार करके मेरा अपने पुत्रों और अन्य किसी के साथ कोई भेदभाव नहीं होगा क्योंकि जगत में लडाई झगड़ों का मूल कारण

Answered by Anonymous
313

Answer:

प्रश्न-दुर्योधन ने एंकात में धृतराष्ट्र से क्या कहा?

उत्तर-दुर्योधन ने धृतराष्ट्र से कहा "पिता जी, जल्दी ही हम ऐसा कोई उपाय करें, जिससे हम सदा के लिए निश्चित हो जाएँ।"

प्रश्न-युधिष्ठिर ने अपने भाइयों के साथ क्या शपथ ली?

उत्तर - पांडवों के राजसूय यज्ञ में शिशुपाल मारा गया था तब युद्धिष्ठिर जी ने शिशुपाल वध से सम्बन्धित उत्पात के बारे में जो उनकी शंका थी उसके बारे में उन्होंने वेदव्यास जी से पूछा वेदव्यास जी ने उत्तर दिया कि -

पांडवों के राजसूय यज्ञ में शिशुपाल मारा गया था तब युद्धिष्ठिर जी ने शिशुपाल वध से सम्बन्धित उत्पात के बारे में जो उनकी शंका थी उसके बारे में उन्होंने वेदव्यास जी से पूछा वेदव्यास जी ने उत्तर दिया कि -उत्पातों का फल तेरह वर्षों तक होता है इस समय जो उत्पात उत्पन्न हुआ है वह समस्त क्षत्रियो के संहार करने वाला होगा और अनेक भूपाल आपको ही निमित्त बनाकर नष्ट हो जायेंगे और यह विनाश दुर्योधन के अपराध से और भीमसेन और अर्जुन के पराक्रम से ही सम्पन्न होगा परन्तु तुम्हें इस बात की चिंता नहीं करनी चाहिए क्योंकि काल सबके लिए ही दुर्लघ्य होता है इतना कहकर व्यास जी कैलाश पर्वत की ओर प्रस्थान कर गए।

पांडवों के राजसूय यज्ञ में शिशुपाल मारा गया था तब युद्धिष्ठिर जी ने शिशुपाल वध से सम्बन्धित उत्पात के बारे में जो उनकी शंका थी उसके बारे में उन्होंने वेदव्यास जी से पूछा वेदव्यास जी ने उत्तर दिया कि -उत्पातों का फल तेरह वर्षों तक होता है इस समय जो उत्पात उत्पन्न हुआ है वह समस्त क्षत्रियो के संहार करने वाला होगा और अनेक भूपाल आपको ही निमित्त बनाकर नष्ट हो जायेंगे और यह विनाश दुर्योधन के अपराध से और भीमसेन और अर्जुन के पराक्रम से ही सम्पन्न होगा परन्तु तुम्हें इस बात की चिंता नहीं करनी चाहिए क्योंकि काल सबके लिए ही दुर्लघ्य होता है इतना कहकर व्यास जी कैलाश पर्वत की ओर प्रस्थान कर गए।व्यास जी की बात सुनकर युद्धिष्ठिर जी चिंता में डूब गए तथा मरने का निश्चय करते हुए बोलें कि काल ने यदि मुझे ही निमित्त बनाकर क्षत्रियो के विनाश का सोचा है तो मेरे जीवन का क्या प्रयोजन। राजा कि ऐसी बातों को सुनकर अर्जुन ने उन्हें समझाया तब राजा युधिष्ठिर ने यह प्रतिज्ञा ली कि- मैं अपने भाईयों और अन्य राजाओं से कभी कड़वी बात नहीं बोलूंगा, बन्धु बांधवों की आज्ञा में रहकर सदा उनकी मूहमांगी वस्तुएं लाने का प्रयत्न करुंगा, इस प्रकार समतापूर्ण व्यवहार करके मेरा अपने पुत्रों और अन्य किसी के साथ कोई भेदभाव नहीं होगा क्योंकि जगत में लडाई झगड़ों का मूल कारण भेदभाव ही है।नररत्नों! विग्रह या वैर का विरोध करके मैं संसार में निंदा का पात्र नहीं रहूंगा। अपने बड़े भाई की इस प्रकार की बात सुनकर सभी भाई अपने बड़े भाई के हित के लिए उनकी आज्ञा का ही अनुसरण करने लगे।

Similar questions