दुर्योधन युधिष्ठिर के शमा दया विनीत और नम्र होने के गुण को क्या समझता था
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यदि हम दुर्योधन के स्थान पर होते, तो पाण्डवों से वैर-विरोध और छल-कपट नहीं करते। हम युधिष्ठिर की बात मान लेते और महाभारत का युद्ध नहीं होने देते। हम युधिष्ठिर की तरह सत्य, क्षमा, दया, त्याग आदि गुणों को अपनाते।
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Answer: यदि हम दुर्योधन के स्थान पर होते, तो पाण्डवों से वैर-विरोध और छल-कपट नहीं करते। हम युधिष्ठिर की बात मान लेते और महाभारत का युद्ध नहीं होने देते। हम युधिष्ठिर की तरह सत्य, क्षमा, दया, त्याग आदि गुणों को अपनाते।
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