दूरभाष को विज्ञापन की सौगात क्यों कहा जाता है
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दूरभाष को विज्ञान की सौगात क्यों कहा गया है।
दूरभाष को विज्ञान की सौगात इसलिए कहा गया है, क्योंकि दूरभाष के माध्यम से ही सैकड़ों और हजारों मील दूर रहकर भी एक दूसरे से संपर्क स्थापित करना बेहद आसान हो गया था। इस कारण अपने संदेश को सैकड़ों हजारों मील दूर पहुंचाना पल भर का कार्य हो गया, जिससे सारे काम तेज गति से होने लगे और विकास भी तेज गति से हुआ।
दूरभाष के आविष्कार से पहले अपने संदेशों का आदान-प्रदान और पारंपरिक साधनों द्वारा किया जाता था, जिसमें काफी समय लगता था। सैकड़ों-हजारों मील दूर बैठे किसी व्यक्ति से संवाद स्थापित करने को पत्र आदि पारंपरिक साधनों का प्रयोग किया जाता था, जिसमें अपनी बात कहने और उसका उत्तर पाने में काफी समय लगता था। लेकिन जब दूरभाष का अविष्कार हुआ तो संपर्क करना तेज और सुलभ हो गया, इसी कारण दूरभाष द्वारा कई दिनों का कार्य चंद सेकंड में होने लगा। इससे विकास की गति को भी बल मिला। इसी कारण दूरभाष को विज्ञान की सौगात कहा जाता है।
दूरभाष को विज्ञापन की सौगात कहा जाता है क्योंकि :
- दूरभाष दूरसंचार का साधन हैं अर्थात् इससे हम दूर जगहों पे भी लोगों से बात कर सकते हैं । इसका निर्माण अलेक्जेंडर ग्राहम बेल ने किया था।
- यह एक विज्ञापन का साधन हैं क्योंकि इसके ज़रिए दूर तक हम लोगों को सूचना दे सकते हैं। इससे दूर - दूर तक लोगों को विज्ञापन की ख़बर आसानी से मिल सकती हैं।
- जब भी कोई नया व्यापार हम शुरू करते हैं तो उसकी सूचना हम इसके द्वारा आसानी से पहुंचा सकते हैं , इससे हमारे व्यापार में काफी वृद्धि होगी और बहुत लोगों तक उसका जुड़ाव रहेगा।
- इसके जरिए हम लोगों तक बहुत सी जानकारियां पहुंचा सकते हैं । दूरभाष के जरिए सारी जानकारी घर बैठे ही ग्राहकों को दी जा सकती हैं , इससे हमरी सारी मुश्किलें आसानी से हल हो सकती हैं। अत: दूरभाष को विज्ञापन की सौगात कहा जाता है।