Hindi, asked by chetanmv375, 5 hours ago

दीरघ दोहा अरथ के, आखर थोरे आहिं। ज्यों रहीम नट कुंडली, सिमटी कूदि जाहिं

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Answers

Answered by umachowhan12345
7

Answer:

दीरघ दोहा अरथ के, आखर थोड़े आहिं॥ ज्यों रहीम नट कुंडली, सिमिट कूदि चढि जाहिं॥ रहीम जी का कहना है कि उनके दोहों में भले ही कम अक्षर या शब्द हैं, परंतु उनके अर्थ बड़े ही गूढ़ और दीर्घ हैं। ठीक उसी प्रकार जैसे कोई नट अपने करतब के दौरान अपने बड़े शरीर को सिमटा कर कुंडली मार लेने के बाद छोटा लगने लगने लगता है।

Explanation:

क्या आप समझ गए

Answered by sankalptiple18
1

Answer:

hope It Will helps you

Explanation:

rahim ji kahate hai hi unke dohe me bahut kam akshar hote hai par unka aarth bahut gudh hai. jaise ek bat karishma dikhate samaya apna sharir samet leta hai aur chota dikhne lagta hai

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