Hindi, asked by poojamopatel244, 2 days ago

दे रहे आह्वान तुझको मस्त होकर मेघ काले उठ रही झंझा प्रबलतम जोर इनका आजमा ले। शपथ तुझको जो हटाया एक पग भी आज पीछे। प्राण में भर अटल साहस खेल लें, इनको खिलालें नाश की पटभूमिका पर सृष्टि का कर चित्र अंकित विजय है तेरी सुनिश्चित। 1. उपर्युक्त काव्यांश का शीर्षक लिखिए। 2. कवि सृष्टि का चित्र कहाँ अंकित करना चाहता है . कवि किसको आजमाने की बात कहता है?​

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Answered by shishir303
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दे रहे आह्वान तुझको मस्त होकर मेघ काले,

उठ रही झंझा प्रबलतम जोर इनका आजमा ले।

शपथ तुझको जो हटाया एक पग भी आज पीछे।

प्राण में भर अटल साहस खेल लें, इनको खिला लें,

नाश की पटभूमिका पर सृष्टि का कर चित्र अंकित,

विजय है तेरी सुनिश्चित।

1. उपर्युक्त काव्यांश का शीर्षक लिखिए।

उत्तर ⁝ उपर्युक्त काव्यांश का शीर्षक ‘बढ़ सिपाही’ है, इसके रचयिता ‘विष्णुकान्त शास्त्री’ हैं।

2. कवि सृष्टि का चित्र कहाँ अंकित करना चाहता है ?

उत्तर ⁝ कवि सृष्टि का चित्र नाश की पटभूमि पर अंकित करना चाहता है।

3. कवि किसको आजमाने की बात कहता है?​

उत्तर ⁝ कवि आँधी को आजमाने की बात कहता है।

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