''दूरदर्शन हमारे संस्कारों पर प्रहार कर रहा है''
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durdrshan hamare sanskaron pr sach mai prhar kr rha hai .kyu ki durdarshn ki vjah se log apne apne kam mai lge rehte hai..agr koi kam nhi bhi hai to bhi mobile ko lge rehna etc..jiske karn respect khtm hoti ha rhi a
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दूरदर्शन हमारे संस्कारों पर प्रहार कर रहा है।
- कई युगों से दूरदर्शन मनुष्य के जीवन एक एहम भाग रहा है । इनके द्वारा हमे मनोरंजन ही नहीं बल्कि ज्ञान की प्राप्ति भी होती है। हमारे संस्कारों को बढ़ावा मिलता है औरकै नयी चीज़ें भी सीखने को मिलती है। सबसे पहले भारत में दूरदर्शन १५ सितम्बर १९५९ में आया था जो आजतक हमारे जीवन में अपना दर्पण बनाये रखा है। कई सारे चैनल होते है जिसमे तरह तरह के प्रोग्राम आते है।
- दूरदर्शन से हमे बहुत कुछ सीखने को मिलता है और हमारे ज्ञान की प्राप्ति होती है। जब मोबाइल फ़ोन नहीं हुआ करता था तब दूरदर्शन से लहि लोगों का मनोरंजन होता था। जिस समय गाँव में सबके पास पैसे नहीं थे दूरदर्शन खरीदने को तब एक ही जान के घर पर सब लोग मौजूद होकर साथ में देखते थे। आजकल की दुनिया में सब अपने फ़ोन में ही व्यस्त रहते है और किसी के पास भी समय ही नहीं होता। दर्शन की वजह से तो हमारे संस्कारों को और प्रवत्ति मिलती है।
- दूरदर्शन देखने का समय सबसे दिलजस्प होता है जब सारा परिवार एक ही कार्यक्रम देखने के लिए साथ में बैठता है। वो कुछ ही समय तो होता है जब सब लोग साथ में बैठते है। ऐसा नहीं है की दूरदर्शन में सिर्फ बुरी चीज़ें आती है। कई तरह के प्रत्योगिता, खेल महोत्सव भी आते है जिनसे हम उसके बारे में जानकारी भी प्राप्त होती है। देश की खबरें, बाजार की खबरें, कहा दंगें हुए किस चीज़ से लोगों को बच के रहना चाहिए हर चीज़ के बारे में दूरदर्शन से ही जानकारी मिलती है।
- दूरदर्शन से हमारे संस्कार पर अच्छा प्रभाव पड़ता है। जो इंसान खबर पढता नहीं है वो देख और सुन सकता है। नृत्य या गीत सीखना हो तो भी दूरदर्शन की माधयम से हो सकता है। इससे हमारी संस्कृति को बढ़ावा ही मिलता है और इसमें कोई हानि नहीं है।
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