Geography, asked by manjul143d, 2 months ago

दूरदर्शन की उपयोगिता पर निबंध लिखिए

150 शब्द ​

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Answered by mail2monika2008
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दूरदर्शन आज भारतीय जन जीवन का एक अभिन्न अंग बन गया हैं. दृश्य और श्रव्य दोनों साधनों के सुसंयोजन ने इसे मनोरंजन का श्रेष्ठतम साधन प्रमाणित कर दिया हैं. नित्य नई तकनीकों के प्रवेश और नये नये चैनलों के उद्घाटन ने बालक और युवा वर्ग को दूरदर्शन का दीवाना बना दिया हैं.

दूरदर्शन का प्रभाव क्षेत्र– दूरदर्शन बालकों, युवकों, वृद्धों गृहणियों तथा व्यावसायियों आदि सभी में अपनी पैठ बना चुका हैं. दूरदर्शन यंत्र के सामने बैठे छात्र अपनी पढ़ाई और युवा अनेक दायित्व भूल जाते हैं. इस समय सामाजिक जीवन के हर क्षेत्र पर किसी न किसी रूप में दूरदर्शन का प्रभाव हैं. युवा इसके मनोरंजक पक्ष से व्यवसायी इसकी असीमित विज्ञापन क्षमता से, राजनीतिज्ञ इसके देशव्यापी प्रसारण से धर्मात्मा लोग इसकी कथाओं और धार्मिक स्थलों की सजीव प्रस्तुती से प्रभावित हैं.

दूरदर्शन अथवा दूरदर्शन– दूरदर्शन की लोकप्रियता जैसे जैसे बढ़ रही हैं वैसे वैसे इसका हानिकारक पक्ष भी सामने आता जा रहा हैं. इसके दुष्प्रभाव संक्षेप में इस प्रकार हैं.

सामजिक दुष्प्रभाव- दूरदर्शन ने व्यक्ति के सामाजिक जीवन को गहराई से कुप्रभावित किया हैं. छात्र और युवा वर्ग घंटों इससे चिपका बैठा रहता हैं. इससे उनके जीवन में एकाकीपन आ गया हैं. और उनकी सामाजिक सक्रियता कम होती जा रही हैं विडियो गेम और कार्टून फिल्मों में उलझे रहने से उनके स्वाभाविक खेलकूद पर विराम सा लग गया हैं.

आर्थिक दुष्प्रभाव– दूरदर्शन लोगों के आर्थिक शोषण का भी माध्यम बन गया हैं. भ्रामक और अतिशयोक्तिपूर्ण विज्ञापनों के द्वारा लोगों को अपव्यय के लिए उकसाया गया है. अनेक कार्यक्रमों द्वारा एस एम एस कराके और मत संग्रह कराके लोगों की जेबें खाली कराई जाती हैं.

स्वास्थ्य पर दुष्प्रभाव– छात्र और युवा वर्ग घंटों दूरदर्शन के कार्यक्रम देखते रहते हैं. इससे उनकी आँखे खराब हो जाती हैं. मोटापा और पाचन क्रिया में विकार उत्पन्न हो जाते हैं.

दुष्प्रभावों से बचाव– दूरदर्शन के कुप्रभावों के बचाव तभी हो सकता हैं. जब जनता और सरकार दोनों ही सचेत हों. अभिभावक, शिक्षक और सामाजिक कार्यकर्ताओं को दूरदर्शन के अश्लील और भ्रामक कार्यक्रमों का विरोध करना चाहिए. इसके साथ ही छात्रों और युवाओं का भी सही मार्गदर्शन करना चाहिए. सरकार को भी दूरदर्शन पर नियंत्रण करना चाहिए.

उपसंहार– दूरदर्शन एक प्रबल प्रभाव छोड़ने वाला माध्यम हैं. उसे अपने सामाजिक दायित्व पर पूरा ध्यान देना चाहिए. केवल व्यावसायिक लाभ को ही ध्यान में रखना चाहिए. दूरदर्शन के धारावाहिकों का एक नैतिक स्तर होना चाहिए, सरकार को भी इस दिशा में कठोर उपाय करने चाहिए.

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