द्रव की श्यानता परिभाषित कीजिये।
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दूसरों शब्दों में यह भी कहा जाता है कि स्वरूपपरिवर्तन शीरे में धीरे धीरे होता है, जब कि पानी जैसी वस्तुओं में तेजी से। श्यानता तरलों का वह गुण है जिसके कारण तरल उन बां का विरोध करता है जो उसके स्वरूप को बदलना चाहते हैं। ... इसी श्यानता के कारण द्रव की एक परत दूसरी परत पर होकर आगे बढ़ती है।
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