Chemistry, asked by nitishsingh110020, 7 months ago

द्रवरागी (लायोफिलिक) एवं द्रवविरागी (लायोफोबिक) कोलॉयड में अन्तर स्पष्ट करें।​

Answers

Answered by AnkitaSahni
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'द्रवरागी (लायोफिलिक)' एवं 'द्रवविरागी (लायोफोबिक)' कोलॉयड में अन्तर  -

  • 'लियोफोबिक कोलाइड्स' विलायक प्यार करने वाले कोलाइड हैं। 'लियोफोबिक कोलाइड्स' विलायक से नफरत करने वाले कोलाइड हैं।
  • ' लियोफिलिक कोलाइड' थर्मोडायनामिक रूप से स्थिर होते हैं। 'लियोफोबिक कोलाइड' थर्मोडायनामिक रूप से अस्थिर होते हैं।
  • 'लियोफिलिक' सॉल में वर्षा एक प्रतिवर्ती प्रक्रिया है। 'लियोफोबिक' सॉल में वर्षा  एक अपरिवर्तनीय प्रक्रिया है।
  • 'लियोफिलिक कोलॉइड' और द्रव के बीच प्रबल आकर्षण बल होता है। 'लियोफोबिक कोलॉइड' और द्रव के बीच आकर्षण कम या ना के बराबर होता है।
  • 'लियोफिलिक कोलाइड' अत्यधिक चिपचिपे होते हैं। 'लियोफोबिक कोलाइड' में विलायक के समान चिपचिपाहट होती है।
  • 'लियोफिलिक कोलाइड्स' एक लियोफिलिक सॉल बनाते हैं। 'लियोफोबिक कोलाइड' एक लियोफोबिक सॉल बनाते हैं।
  • जब पानी को विलायक के रूप में लिया जाता है, तो लियोफिलिक कोलाइड्स को हाइड्रोफिलिक कोलाइड्स के रूप में जाना जाता है। जब पानी को विलायक के रूप में लिया जाता है, तो लियोफोबिक कोलाइड्स को हाइड्रोफोबिक कोलाइड्स के रूप में जाना जाता है।
  • फैलाव माध्यम (तरल) में फैलाव चरण (कोलाइड्स) के सीधे जोड़ द्वारा एक लियोफिलिक सॉल तैयार किया जा सकता है। यांत्रिक आंदोलन जैसी विशेष तकनीकों से एक लियोफोबिक सॉल का निर्माण किया जा सकता है।

#SPJ3

Answered by rajagrewal768
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Answer:

1.लियोफोबिक कोलाइड्स' विलायक प्यार करने वाले कोलाइड हैं।

2. लियोफिलिक कोलाइड' थर्मोडायनामिक रूप से स्थिर होते हैं।

3.लियोफिलिक' सॉल में वर्षा एक प्रतिवर्ती प्रक्रिया है। ...

4.लियोफिलिक कोलॉइड' और द्रव के बीच प्रबल आकर्षण बल होता है।

Explanation:

द्रव स्नेही और द्रव विरोधी या द्रवरागी एवं द्रव विरागी कोलॉइड या कोलाइड विलयन अंतर क्या है : हम यहाँ अध्ययन करेंगे की दोनों प्रकार के कोलाइड विलयन क्या होते है और इसके बाद हम पढेंगे की दोनों कोलाइडी विलयन में क्या अन्तर होता है।

द्रवस्नेही कोलाइड विलयन : वह कोलॉइडी विलयन जिसमे उपस्थित परिक्षिप्त प्रावस्था और परिक्षेपण माध्यम  कणों के मध्य तीव्र आकर्षण बल पाया जाता है , उन्हे द्रव स्नेही कोलाइडी विलयन कहते है।

चूँकि यहाँ परिक्षिप्त प्रावस्था और परिक्षेपण माध्यम के बीच में उच्च आकर्षण बल पाया जाता है इसलिए इन दोनों को आपस में सीधे मिलाने से की कोलाइड विलयन का निर्माण हो जाता है।

इस प्रकार के विलयन का स्कंदन शीघ्रता से नहीं होता है , अर्थात इनके कोलाइड कण पैंदे में आसानी से नहीं बैठते है , ऐसे कोलाइड कणों का स्कन्दन करने के लिए इन्हें गर्म किया जाता है या इनमें कोई विद्युत अपघट्य मिलाया जाता है।

ये उत्क्रमणीय होते है , अर्थात जब इस प्रकार के कोलाइड विलयन को स्कंदित करके , वाष्पीकरण से ठोस पदार्थ को प्राप्त कर लिया जाता है और अब इस ठोस पदार्थ को पुनः परिक्षेपण माध्यम में डालकर पुनः यह कोलाइड विलयन तैयार किया जा सकता है।

उदाहरण : गोंद , स्टार्च , जिलेटिन आदि।

#SPJ2

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