ठोस कचरा प्रबंधन क्या है
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Answer:
ठोस कचरा प्रबन्धन का अर्थ वातावरण व जन स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव
Explanation:
5 अप्रैल, 2016 को पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) प्रकाश जावड़ेकर ने संशोधित ‘ठोस कचरा प्रबंधन (SWM) नियम, 2016’ की घोषणा की।
ठोस कचरा प्रबंधन के नियम 16 वर्ष बाद संशोधित किए गए।
ठोस कचरा प्रबंधन (SWM) नियम, 2016 की कुछ मुख्य विशेषताएं निम्नलिखित हैं-
1. ये नियम अब नगर निगम क्षेत्रों से बाहर भी लागू हो गए हैं।
ये नियम अब शहर संबंधी समूहों, जनगणना वाले कस्बों, अधिसूचित औद्योगिक टाउनशिप, भारतीय रेल के नियंत्रण वाले क्षेत्रों, हवाई अड्डों, एयर बेस, बंदरगाह, रक्षा प्रतिष्ठानों, विशेष आर्थिक क्षेत्र, केंद्र एवं राज्य सरकारों के संगठनों, तीर्थ स्थलों और धार्मिक एवं ऐतिहासिक महत्व के स्थानों पर भी लागू माने जाएंगे।
2. कोई भी व्यक्ति अपने द्वारा उत्पन्न ठोस कचरे को अपने परिसर के बाहर सड़कों, खुले सार्वजनिक स्थलों पर, या नाली में, या जलीय क्षेत्रों में न तो फेंकेगा, न जलाएगा अथवा दफनाएगा।
3. ठोस कचरा उत्पन्न करने वालों को ‘उपयोग कर्ता शुल्क’ अदा करना होगा, जो कचरा एकत्र करने वालों को प्राप्त होगा।
4. निर्माण और तोड़-फोड़ से उत्पन्न होने वाले ठोस कचरे को ‘निर्माण एवं विध्वंस अपशिष्ट प्रबंधन नियम, 2016’ के अनुसार संग्रहित करने के बाद निपटाया जाना चाहिए।
केंद्र सरकार ने इन नियमों के समग्र कार्यान्वयन की निगरानी करने के लिए पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के सचिव की अध्यक्षता में एक केंद्रीय निगरानी समिति का भी गठन किया है।
वर्तमान में देश भर में प्रति वर्ष 62 लाख टन कचरा उत्पन्न होता है।
जिनमें से 5.6 लाख टन प्लास्टिक कचरा, 0.17 लाख टन जैव चिकित्सा अपशिष्ट, 7.90 लाख टन खतरनाक अपशिष्ट और 15 लाख टन ई-कचरा है।