ठेस कहानी का सार अपने शब्दों में लिखिए
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asa ha ap ko accha lga ga
'ठेस' कहानी का सारांश...
'ठेस' कहानी फणीश्वर नाथ रेणु द्वारा लिखी गई एक कहानी है, जिसमें भारत के ग्रामीण अंचल की पृष्ठभूमि को लेकर बनी गई कहानी है। यह कहानी सिरचन नाम के एक बुनकर पर केंद्रित है।
यह कहानी एक सच्चे कलाकार की कोमल भावनाओं और उसके जीवन की कथा का मार्मिक चित्रण है। सिरचन शीतल पाटी, चिक और कुशासन बनाने में माहिर एक बुनकर है। गाँव वाले उसकी खूब कद्र करते हैं। उसकी कलाकारी के कारण गाँव के लोगों मे उसकी मांग है। लेकिन वह एक कलाकार है और अपनी कला पर किसी की टोका टोकी सहन नहीं कर पाता।
एक बार लेखक की छोटी बहन मानो अपनी ससुराल जा रही थी और उसके पति ने चिक और शीतल पाटी की फरमाइश की। सिरचन को बुलाया गया और काम शुरू हुआ। सब चीजें अच्छी बन गई तो मानु ने उसे पान दिया। फिर सिरचन ने सुगंधित जर्दा मांग लिया तो मानू की चाची ने उसे तीखीं बातें सुना दी। इसके सिरचन के मन ठेस लगी और वो काम छोड़कर चला गया। लेकिन जाते-जाते मानू को शीतल पाटी और कुशासन सौंप गया। इससे उसने अपनी संवेदनशीलता का परिचय दिया क्योंकि यदि वह सामान नहीं देता तो मानू की ससुराल ने उसकी बेइज्जती होती। गाँव की लड़की बेइज्जती उसकी बेइज्जती होती।
इस तरह यह कहानी एक संवेदनशील कलाकार के संवेदनशील को प्रस्तुत करती है, जिसने अपमानित होने बावजूद अपने गाँव की इज्जत का ख्याल किया।
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