दोस पराए देखि करि, चला हसंत हसंत। अपने याद न आवईं, जिनका आदि न अंत।। iske bhavarth likhe
Answers
Answered by
0
Answer:
भावार्थ: इंसान की फितरत कुछ ऐसी है कि दूसरों के अंदर की बुराइयों को देखकर उनके दोषों पर हँसता है, व्यंग करता है लेकिन अपने दोषों पर कभी नजर नहीं जाती जिसका ना कोई आदि है न अंत।
Explanation:
please mark as brainlist
Answered by
0
Answer:
insaan ki first aisi hoti hai ki wo sirf dusaro ke dosto ko hi dekhti haiapne dosh use yaad nahi aatein hai jinka na koi aati hai na unka ant hai
Similar questions