दोस्ती करते समय हमें किन प्रमुख बातों पर ध्यान देना चाहिए
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उसमें अच्छी-से-अच्छी माता का-सा धैर्य और कोमलता हो। वह सच्चे पथ-प्रदर्शक के समान हो, विश्वसनीय हो। वह भाई के समान हो। वह प्रतिष्ठित, शुद्ध हृदय का, मृदुल, पुरूषार्थी, शिष्ट और सत्यनिष्ठ हो।
जिन लोगों में शर्म न हो, जो गलत कार्य करने से संकोच न करें उनसे भी मित्रता नहीं करनी चाहिए। दूसरों के दुख में उपहास उठाना, जरुरत के समय किसी की मदद न करने वालों से भी मित्रता नहीं करनी चाहिए।
उसमें अच्छी-से-अच्छी माता का-सा धैर्य और कोमलता हो। वह सच्चे पथ-प्रदर्शक के समान हो, विश्वसनीय हो। वह भाई के समान हो। वह प्रतिष्ठित, शुद्ध हृदय का, मृदुल, पुरूषार्थी, शिष्ट और सत्यनिष्ठ हो।
अपने मित्र से बार-बार और बेरूख़ी से सवाल ना करें। यदि आप की मित्रता सच्ची है, तो आप ऐसा कर के इसे बरबाद कर रहे हैं। ... यदि आप का मित्र सच में बहुत बुरा मित्र है, तो उस से मित्रता बनाए रखने से कोई फायदा नहीं होगा। उसे भूल जाएँ और कोई नया और सच्चा दोस्त ढूँढने की कोशिश करें।
अनेक व्यक्ति आपसे अपना काम निकालने के स्वार्थमय उद्देश्य से मित्रता करने को उतावले रहते हैं, किन्तु अपना कार्य निकल जाने पर कोई सहायता नहीं करते। अतः बड़ी सावधानी से व्यक्ति का चरित्र, आदतें, संग, शिक्षा इत्यादि का निश्चय करके मित्र का चुनाव होना चाहिए। आपका मित्र उदार, बुद्धिमान, पुरुषार्थी, और सत्यपरायण होना चाहिए।
एक सच्चा दोस्त सदैव ही आपकाे आपकी गलतीयाें से अवगत करवाता हैं। सच्ची दोस्ती में अमीरी व गरीबी की कोई जगह नहीं हाेती। एक सच्चा दोस्त सदैव ही बिना किसी डर के आपकाे, आपके बुरी आदताें से अवगत करवाता हैं। एक सच्चा दोस्त भले ही आपसे शारिरीक रूप से क्यों न दुर हाे, लेकिन सदैव ही आपकाे करीब हाेने का एहसास करायेगा।