'दूसरों की पीड़ा समझने वाला मनुष्य ही सच्चा मनुष्य है।' विषय पर भाषण तैयार कीजिए।
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मित्र की आवश्यकता
मित्र का स्वभाव
सन्मार्ग पर ले जाते मित्र
मित्र के चयन में सावधानियाँ।
मानव जीवन को संग्राम की सभा से विभूषित किया गया है, जिसमें दुख और सुख क्रमशः आते-जाते रहते हैं। सुख का समय जल्दी और सरलता से कब बीत जाता है पता ही नहीं चलता पर दुख के समय में उसे ऐसे व्यक्ति की ज़रूरत होती है जो उसके काम आए। अब उसे मित्र की आवश्यकता होती है जो उसे दुख सहने का साहस प्रदान करे। मित्र का स्वभाव उदार, परोपकारी होने के साथ ही विपत्ति में साथ न छोड़ने वाला होना चाहिए। उसे जल की भाँति नहीं होना चाहिए जो जाल पड़ने पर जाल में फँसी मछलियों का साथ छोड़कर दूर हो जाता है और मछलियों को मरने के लिए छोड़ जाता है।
वास्तव में मित्र का स्वभाव श्रीराम और सुग्रीव के स्वभाव की भाँति होना चाहिए जिन्होंने एक-दूसरे की मदद करके अनुकरणीय उदाहरण प्रस्तुत किया। एक सच्चा मित्र को बुराइयों से हटाकर सन्मार्ग की ओर ले जाता है। एक सच्चा मित्र अपने मित्र को व्यसन से बचाकर सत्कार्य के लिए प्रेरित करता है और उसके लिए घावों पर लगी उस औषधि के समान साबित होता है जो उसकी पीड़ा हरकर शीतलता पहुँचाती है। व्यक्ति के पास धन देखकर बहुत से लोग नाना प्रकार से मित्र बनने की चेष्टा करते हैं। हमें इन अवसरवादी लोगों से सावधान रहना चाहिए। हमारी जी हुजूरी और चापलूसी करने वाले को भी सच्चा मित्र नहीं कहा जा सकता है। हमारी गलत बातों का विरोधकर उचित मार्गदर्शन कराने वाला ही सच्चा मित्र होता है। हमें मित्र के चयन में सावधान रहना चाहिए ताकि मित्रता चिरकाल तक बनी रहे।