दूसरो के दोष मत देखो
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Yess hme apni andar ki buraiya dekhni chahiy dusro Ko nhi
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waise krana kya haiii
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अक्सर लोगों को दूसरों के दोष तो दिखाई देते हैं लेकिन उनके गुण नहीं। यह प्रवृत्ति उचित नहीं है। वास्तव में दूसरों को गुणों को देखकर ही हम अपने अंदर के दोष दूर कर सकते हैं। सभी महापुरुष, समाज सुधारक, संत-महात्मा आदि ने यही उपदेश दिया है कि हमेशा दूसरों के गुण देख-सुनकर गुणवान बनो।
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