दूसरे कवित्त के आधार पर स्पष्ट करें कि ऋतुराज वसंत के बाल-रूप का वर्णन परंपरागत वसंत वर्णन से किस प्रकार भिन्न है।
Answers
कवि देव के अपने कवित्त में ऋतुराज वसंत के बालरूप का वर्णन परंपरागत वसंत वर्णन से बहुत अलग है।
वसंत ऋतु को ऋतुओं का राजा भी कहा जाता है| यह ऋतु प्रकृति को नवजीवन प्रदान करता है, जिसके आने पर प्रकृति खिल जाती है। एक राजा की भाँति वसंत अपनी प्रकृति रूपी प्रजा का ध्यान रखता है|
परंतु यहाँ देव ने वसंत का वर्णन ऋतुराज के रूप में न करके एक बालक के रूप में किया है और प्रकृति इसका प्यार-दुलार कर रही है। वसंत के परंपरागत वर्णन में कवि चारों ओर हरियाली, मौसम की अद्भुत दृश्य , फूलों का खिलना, शीतल हवाओं का बहना, झूले झूलना, नायक-नायिकाओं का मेल मिलाप आदि को दर्शाते हैं।
इस कविता में वसंत को कामदेव के बालक के रूप चित्रित कर उससे उत्पन्न हुआ बताया गया है, जबकि परम्परागत वसंत का वर्णन में वसंत ऋतु से कामदेव को उददीप्त हुआ बताया जाता है।कवित्त में ऋतुराज वसंत को कामदेव के बालक के रूप में चित्रित किया गया है। उनके साथ प्रकृति वह सब करती है जैसा एक नन्हे शिशु के साथ किया जाता है। प्रकृति उन्हें वृक्षों को पलना, पत्तों की शय्या, फूलों का वस्त्र, वायु द्वारा झूला झुलाना, मोर, तोते और कोयल द्वारा मनोरंजन करते दिखाया गया है।
: आवश्यक उत्तर
ऋतुराज वसंत के बाल रूप का वर्णन परंपरागत वसंत वर्णन से पूर्णतया भिन्न है। वसंत के परंपरागत वर्णन में प्रकृति में चहुंओर बिखरे सौंदर्य, फूलों के खिलने, मनोहारी वातावरण होने, पशु-पक्षियों एवं अन्य प्राणियों के उल्लसित होने, नायकनायिका की संयोग अवस्था का वर्णन एवं सर्वत्र उल्लासमय वातावरण का वर्णन होता है, वहीं इस कवित्त में ऋतुराज वसंत को कामदेव के नवजात शिशु के रूप में चित्रित किया है। इस बालक के साथ संपूर्ण प्रकृति अपने-अपने तरीके से निकटता प्रकट करती है। इस बालक का पालनी पेड़-पौधे की डालियाँ, उसका बिछौना, नए-नए पल्लव, फूलों का वस्त्र तथा हवा द्वारा उसके पालने को झुलाते हुए दर्शाया गया है। पक्षी उस बालक को प्रसन्न करते हुए बातें करते हैं तो कमल की कली उसे बुरी नजर से बचाती है और गुलाब चटककर प्रात:काल उसे जगाता है।