दूसरा देवदास कहानी का संवाद क्या है
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दूसरा देवदास कहानी का संवाद
दूसरा देवदास कहानी हर की पौड़ी, हरिद्वार के परिवेश को केंद्र में रखकर युवामन की संवेदना, भावना की आकर्षक प्रस्तुति है। यह कहानी युवा मन मे पहली आकस्मिक मुलाकात की हलचल, कल्पना और रुमानियत का उदाहरण है। यह प्रथम आकर्षण पर केंद्रित कहानी है जिसमे किसी निश्चित व्यक्ति और समय के बिना प्रेम आकर्षण को बताया गया है।
हर की पौड़ी में आरती के समय पंडित जी स्वर के साथ आरती सुरु करते है जय गंगे माता, जो कोई तुझको ध्याता, सारे सुख पाता, जय गंगा माता आरती में ज्यादातर औरते नहाकर बिना कपड़े बदले गीले कपड़े में ही खड़ी हो जाती है। आरती के बाद भक्त आरती लेते है चढ़ावा चढ़ाते है।
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khani dusra devdas ka kender Bindu Kya h
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