Hindi, asked by AnushreeH8035, 16 days ago

दें।ससन्दर्भ व्याख्या कीजिए-नीरव संध्या में प्रषान्तडूबा है सारा ग्राम-प्रान्तपत्रों के आनत अधरों पर सो गया निखिल वन का मर्मर,ज्यों वीणा के तारों में स्वरखग-कूजन भी हो रहा लीन, निर्जन गोपथ अब धूलि-हीधूसर भुजंग-सा जिह्न क्षीण।झींगुर के स्वर का प्रखर तीर, केवल प्रषान्ति को रहा चीसन्ध्या-प्रषान्ति को कर गंभीर ।ससन्दर्भ व्याख्या कीजिए-​

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Answered by kukkalameri
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హీసిసుష్చే susjshdhxhbxbxbxbx

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