देशी बैंकर्स के गुण और दोषों पर प्रकाश डालिए ।
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भारत में स्वदेशी बैंकरों के गुण और अवगुण।
गुण:
वे शीघ्र और लचीला ऋण प्रदान करते हैं।
वे छोटे उत्पादक वाणिज्यिक बैंकों को ऋण देते हैं।
ग्राहकों के साथ उनके सौहार्दपूर्ण संबंध हैं।
वे अपने ग्राहकों के साथ निकट संपर्क रखते हैं और उनकी समस्याओं और वित्तीय आवश्यकता से पूरी तरह परिचित रहते हैं
दोष:
मिक्सिंग बैंकिंग और गैर-बैंकिंग व्यवसाय।
असंगठित बैंकिंग प्रणाली।
अपर्याप्त पूंजी।
अल्प जमा व्यवसाय।
उच्च ब्याज दर।
दोषपूर्ण उधार।
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